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गुणों से भरपूर अदरक

गुणों से भरपूर अदरक

अदरक को आप फलसब्जी मानें या फिर विलक्षण दवा कह लें, यह गुणों की खान है। अधिकतर हर घरों में अदरक का उपयोग तरहतरह से किया जाता है। भोजन के एक महत्वपूर्ण अंग और औषधि, दोनों रूपों में अदरक या सोंठ का प्रयोग किया जाता है। विशिष्ट गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल कई बड़ीछोटी बीमारियों में भी किया जाता है।  औषधि के रूप में इसका प्रयोग गठिया, र्‌यूमेटिक आर्थ राइटिस (आमवात) साइटिका और गर्दन रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर किया जाता है। जोड़ों की इन बीमारियों के अतिरिक्त भूख लगना, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक धर्म में अनियमितता होना इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  ऐसे रोगियों के लिए अदरक का इस्तेमाल आप घर पर ही दवाई बना सकते है।   

* ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें।  

* अदरक का काढ़ा चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।   

* काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एकचौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें।  

* चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है।  

* लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें।  

* ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है।   

* लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है।  

* अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया करीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी पीने दें।  

* रोजमर्रा बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरक का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।

 

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