अनार द्वारा रोग निवारण गुर्दे और मूत्राशय की पथरी
अनार का रस पीनें से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी में आराम मिलता है। हृदय तथा छाती के रोग : अनार के रस में मिस्री मिला कर पीने से हृदय रोग में आराम मिलता है और छाती का दर्द भी जाता रहता है। हिस्टीरिया, पागलपन और मिरगी के दौरे : अनार के पत्ते और गुलाब के फूल को बराबर मात्रा में लें और पानी में उबालें। जब एक चौथाई पानी रह जाए, तो छान लें। इसमें दो चम्मच देशी घी मिला कर पीने से रोग ठीक होता है। पाचन तंत्र विकार : अनार के सेवन से पाचन तंत्र सुचारु रूप से काम करता है, शक्ति बढ़ती है, भूख लगती है और आंतें साफ होती हैं एवं पित्त प्रकोप का नाश होता है। आंतों के कीडे+ : अनार की छाल और पलाश बीज का चूर्ण तथा वायविडंग पानी में उबालें। पानी जब आधा रह जाए, तो छान कर पीएं। इससे आंतें साफ होती हैं और कीडे+ बाहर निकल जाते हैं। पेचिश एवं दस्त : ऐसे रोगो में अनार विशेष औषधि का काम करता है। दिन में ५० मिली लीटर अनार का रस चार बार पीने से पेचिश–दस्त में आराम मिलता है और शरीर में पानी की कमी दूर होती है। वमन : अनार के रस में शहद मिला कर चाटने से उल्टी में आराम मिलता है और जी भी नहीं मिचलाता। कोढ़ के घाव, दाद, खारिश : अनार के पत्ते पीस कर लगाने से कोढ़ के घाव, दाद, खारिश इत्यादि में फायदा होता है।
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