**अहोई व्रत की प्रार्थनाएँ और मंत्र** विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए किए जाते हैं। इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है, और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्र और प्रार्थनाएँ पढ़ी जाती हैं।
- **अहोई माता की प्रार्थना**:
अहोई माता की पूजा के दौरान भक्तगण श्रद्धा और भक्ति भाव से माता से संतान की सुरक्षा और दीर्घायु की कामना करते हैं। प्रार्थना में माताएँ अहोई माता से आशीर्वाद माँगती हैं।
**प्रार्थना (संक्षिप्त रूप में)**:
_”हे अहोई माता! जैसा आपने अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण की है, वैसे ही कृपा करके मेरे परिवार और बच्चों को दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि प्रदान करें। मेरी संतान पर आपकी कृपा बनी रहे।”_
- **अहोई अष्टमी की कथा के दौरान बोला जाने वाला मंत्र**:
जब अहोई माता की कथा सुनी जाती है, तो उसके अंत में निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
_”अहोई माता, मेरी संतान को दीर्घायु और सुखमय जीवन प्रदान करें। जैसे आप सभी संकटों को हरती हैं, वैसे ही मेरे परिवार के सभी कष्टों को दूर करें।”_
- **तारों को देखकर की जाने वाली प्रार्थना**:
अहोई व्रत का समापन तब होता है जब महिलाएँ तारों को देखकर प्रार्थना करती हैं। यह प्रार्थना तारों के माध्यम से अहोई माता से आशीर्वाद पाने के लिए की जाती है:
**प्रार्थना (तारों को देखकर)**:
_”हे माता अहोई! जैसा आप अपने भक्तों पर कृपा करती हैं, वैसे ही मेरी संतान पर भी अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। तारों के समान मेरी संतान का जीवन भी दीर्घ, उज्ज्वल और सुरक्षित हो।”_
- **अहोई माता का विशेष मंत्र**:
पूजा के दौरान अहोई माता का विशेष मंत्र बोला जाता है, जो संतान की रक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए होता है।
**अहोई माता मंत्र**:
_”ओम अहोई माता नमः।”_
यह सरल मंत्र माता अहोई को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है। इसे बार-बार जपने से मानसिक शांति मिलती है और संतान की सुरक्षा के लिए माता की कृपा प्राप्त होती है।
- **सप्तमी या अष्टमी पूजा के दौरान बोले जाने वाले मंत्र**:
पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र बोले जा सकते हैं:
_”ओम अहोई अष्टमी व्रत कथे नमः।”_
यह मंत्र उस समय पढ़ा जाता है जब पूजा के दौरान व्रत की कथा का श्रवण किया जाता है।
- **व्रत समापन की प्रार्थना**:
जब व्रत का समापन होता है, तब माता से निम्न प्रार्थना की जाती है:
_”हे अहोई माता! आज के इस पावन व्रत को पूर्ण करने में आप मेरी सहायता करें और मेरी संतान को सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद दें। आप अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखें।”_
- **अहोई माता की स्तुति**:
स्तुति के रूप में माताएँ अहोई माता की महिमा का बखान करती हैं:
_”जय अहोई माता, जय अहोई माता,
जय अहोई माता।
संतान की रक्षा करने वाली,
सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली।
जय अहोई माता, जय अहोई माता।”_
यह प्रार्थनाएँ और मंत्र अहोई माता की कृपा प्राप्त करने और संतान की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
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