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तुलसी एक गुण अनेक !

तुलसी एक गुण अनेक !

पर्यावरण में अपनी महती भूमिका निभा रहे थे पेड़-पौधे, कांक्रीट जंगलों की वृद्धि के चलते धीरे-धीरे विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। ये ‍िवनाश मानव जाति को ही विनाश की ओर ले जाएँ, उसके पूर्व ही मानव चेत जाए तो बेहतर है। पेड़-पौधों की बचाने में धार्मिक आस्था कारगर हो तो वह भी इस्तेमाल करें, क्योंकि कई भारतीयों की धार्मिक आस्था उन्हें पेड़-पौधों को हानि पहुँचाने से रोकती है।  हम भारतीय आध्यात्मिक तो हैं ही, साथ ही हमारी सोच वैज्ञानिक और तार्किक भी है। तुलसी के पौधे को ही लें। लगभग हर भारतीय घर में, आँगन में आपको तुलसी का बिरवा मिल जाएगा। जिस पर हमारी माताएँ, बहनें नियम से प्रात: जल चढ़ाती हैं, व रात्रि में दीप जलाकर श्रद्धाभाव प्रकट करती हैं। तुलसी के प्रति हमारी भावनाएँ होती हैं –  यन्मूले सर्वतीर्थानि, यन्मध्ये सर्वदेवता:। यदग्रे सर्ववेदाश्च, तुलसित्वां नमाम्तयतम्।’  अर्थात् जिसके मूल में सभी तीर्थ समाहित हैं जिसके मध्य भाग में सभी देवताओं का वास है, जिसके पत्ते वेदस्वरूप हैं, उस तुलसी माँ को मेरा बारंबार नमन है। क्या कारण है कि तुलसी के प्रति इतना श्रद्धा भाव रखने का? कारण यह है कि तुलसी का बिरवा हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्‍य के लिए अनिवार्य है। आइए देखते हैं किस प्रकार तुलसी विभिन्न रोगों के नाश में हमारी सहायक है।  

* जुकाम, हरारत, फ्लू व मौसमी बुखार में तुलसी, काली मिर्च व मिश्री मिलाकर पानी में पकाकर, अथवा तीनों को पीसकर गोलियाँ बना दिन में तीन-चार बार लेने से लाभ होता है।

* खाँसी में तुलसी की पत्तियों व अदरक को पीसकर शहद के साथ चाटने से लाभ पहुँचता है। * दस्त लगने पर तुलसी के 10 पत्तों को एक माशा जीरे में पीसकर दिन में 3-4 बार चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।

* मुख की दुर्गंध दूर करने के लिए दिन में दो बार तुलसी के 4-5 पत्ते चबाएँ। * घाव शीघ्र ठीक करने के लिए तुलसी पत्र व फिटकरी खूब बारीक पीसकर घाव पर छिड़कें।

* जलने पर तुलसी का रस व नारियल तेल फेंटकर लगाने से जलन दूर होगी, जख्‍म भी ठीक होंगे व जख्म का निशान भी धूमिल हो जाता है।  

* चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए तथा झांई व मुहाँसे के दाग मिटाने के लिए तुलसी के पत्तों को पीसकर उबटन करें।

* बुद्धि व स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन तुलसी के पांच-सात पत्ते जल के साथ निगलें।

* मूगदाह की शिकायत में तुलसी के पत्तों का दो तोला रस पावभर दूध व डेढ़ पाव पानी में पिलाकर पी जाएँ।

* गठिया दूर करने के लिए तुलसी की जड़, पत्ते, डंठल, मंजरी और बीज बराबर मात्रा में लेकर कूट, छानकर पुराने गुड़ के साथ मिला लें और बकरी के दूध के साथ प्रात: व सायं सेवन करें।

* त्वचा संबंधी रोगों के लिए तुलसी के पत्तों के साथ पकाया हुआ तिल्ली का तेल लगाएँ।

* इसके साथ ही कीड़े-मकौड़े काटने पर, गर्मी में लू लगने पर तथा रक्त शुद्धि के लिए भी तुलसी उपयोगी है।

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