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Bhajan-Ram-05

Bhajan-Ram-05

रघुकुल प्रगटे हैं रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ..  

देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर .  घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर ..  

आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर .  मागध बंदी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर ..  

देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर ..

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