Homeopathy
ऐलपैथ डॉक्टर भी देते हैं होम्यॉपथी को मान्यता नई दिल्ली : होम्यॉपथी का जन्म भले ही जर्मनी में हुआ लेकिन वहां उसकी कोई कद्र नहीं रही। पूरी दुनिया में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां होम्यॉपथी का सबसे अधिक विकास हुआ। यहां तक कि जर्मनी में इलाज की इस पद्धति के मुरीद भी भारत को होम्यॉपथी का मक्का मानते हैं। होम्यॉपथी का कोई जवाब नहीं, ऐसा सिर्फ इसके डॉक्टर और इस पद्धति से पूरी तरह ठीक हुए देश के लाखों लोग ही नहीं, बल्कि बहुत से ऐलपैथिक डॉक्टर भी मानते हैं। देश के जाने–माने न्यूरो सर्जन डॉ. एच. एन. राय ने केंदीय स्वास्थ्य मंत्री मंत्री डॉ. अंबुमणि रामदास को पिछले सप्ताह एक पत्र लिखकर कहा है कि रोगों के इलाज के मामले में होम्यॉपथी का कोई जवाब नहीं है। उनके पास ऐलपैथिक डॉक्टरों ने इस तरह के कई पत्र भेजे हैं। होम्यॉपथी की सार्थकता के सवाल पर राजधानी में आयोजित संगोष्ठी में हिस्सा लेने अभी भारत आए जर्मनी के डॉ. रॉबर्ट गोल्डमन की मानें तो जर्मनी में वैसे तो 90 प्रतिशत से अधिक ऐलपैथिक डॉक्टर होम्यॉपथी को बेमानी करार देते हैं लेकिन जब उनके बच्चों के इलाज की बारी आती है तो वे भी होम्यॉपथी के डॉक्टरों की ही शरण लेते हैं। होम्यॉपथी के जनक हानमैन के 11 बच्चे भी होम्यॉपथी की दवा के कारण ही उस समय की औसत उम्र से काफी अधिक सालों तक जीवित रहे थे। डॉ. गोल्डमन मूल रूप से ऐलपैथिक डॉक्टर हैं। लेकिन आधुनिक पद्धति से मोहभंग होने के बाद उन्होंने होम्यॉपथी की शिक्षा ली और अब होम्यॉपथी से ही अपने मरीजों का इलाज करते हैं। संगोष्ठी का आयोजन जर्मनी रेडियो डायचाविले ने किया। इस मौके पर गोल्डमन ने एक खास बातचीत में बताया कि अब जर्मनी में भी होम्यॉपथी के विकास की कोशिशें परवान चढ़ रही हैं। उनका आरोप है कि हाल के वर्षों में अमेरिका सहित कई विकसित देशों में होम्यॉपथी की बढ़ती लोकप्रियता से बौखलाकर ही इलाज की इस बेहतरीन विधा को बदनाम करने की कोशिशें शुरू हुई हैं। अपोलो अस्पताल के डॉ. रवि भाटिया ने साफ शब्दों में कहा कि होम्यॉपथी अवैज्ञानिक है और यह ‘फेथ हीलिंग‘ से अधिक कुछ भी नहीं। लेकिन खुद उनकी पत्नी होम्यॉपथी की मुरीद हैं। संगोष्ठी में जर्मनी में बसे होम्यॉपैथिक डॉक्टर रवि राय और केंदीय स्वास्थ्य मंत्रालय में होम्यॉपथी सलाहकार डॉ. एस. पी. सिंह ने भी इस पद्धति के पक्ष में तर्क दिए।
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