लौंग:औषधियुक्तमसाला
लौंग एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण औषधि है। इसका उपयोग खाने के मसालों में भी किया जाता है। लौंग के पेड़ बहुत लुभावने होते हैं, जो भीनी–भीनी सुगंध छोड़ते रहते हैं। पेड़ पर लगे फूलों की फलियां ही लौंग होती है, जो गुणकारी घरेलू औषधि के साथ–साथ अत्यंत लाभकारी भी है। लौंग पाचक, कफ–पित्त नाशक होती है। भोजन में इसका उपयोग पाचन शक्ति को बढ़ाता है और खाने में रुचि लाता है, भूख भी बढ़ाता है। अन्य भी कई रोगों में इसका उपयोग लाभकारी है। दंत रोग पायरिया : लौंग को पीस कर दांतों में लगाने से रोग दूर होता है। इसी लिए इसका उपयोग कई दंत मंजनों में किया जाता है। दांतों का हिलना, दांत दर्द, मसूड़ों का कमजोर होना, इन सभी में लौंग एक विशेष औषधि है। खांसी : सूखी या कफ वाली खांसी में लौंग को गर्म कर के, मुंह में रख कर चूसने से खांसी शांत होती है और गला भी साफ रहता है। मलेरिया : लौंग और चिरौता को पानी में देर तक पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए, तो इस प्रकार बने काढ़े को मलेरिया के रोगी को पिलाएं, तो फौरन आराम मिलता है। पेट का अफरा : जिन लोगों को भोजन के उपरांत अफरा होता है, वे भोजन के बाद लौंग मुंह में रख कर चूसें, या भोजन में लौंग का उपयोग करें, तो अफरा दूर होगा। श्वास रोग : प्रतिदिन सोते समय लौंग को भून कर खाने से श्वास रोग, दमा आदि दूर होते हैं। इससे बलगम खत्म हो जाता है, श्वास की शिकायत मिटती है, नजला–जुकाम भी दूर रहता है। मूत्र विकार : लौंग रक्त के श्वेत कणों को बढ़ाता है। श्वेत कण ही विभिन्न रोगों के जीवाणुओं को नष्ट करते हैं। इसलिए इसके सेवन से मूत्र संबंधी विकार दूर होते हैं।
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