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Bhajan-Ram-02

Bhajan-Ram-02

ठुमक चलत रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..  

किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय . धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ..  

अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि . तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ..  

विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर . सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ..

तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद . रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ..

 

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