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Bhajan-Ram-03

Bhajan-Ram-03

भज मन राम चरण भज मन राम चरण सुखदाई ..

जिन चरनन से निकलीं सुरसरि शंकर जटा समायी . जटा शन्करी नाम पड़्यो है त्रिभुवन तारन आयी ..

शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक शेष सहस मुख गायी . तुलसीदास मारुतसुत की प्रभु निज मुख करत बढ़ाई ..

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