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Bhajan-Ram-07

Bhajan-Ram-07

पायो जी मैंने पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ..  

वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो . जनम जनम की पूंजी पाई जग में सभी खोवायो..  

खरचै न खूटै चोर न लूटै दिन दिन बढ़त सवायो .  सत की नाव खेवटिया सतगुरु भवसागर तर आयो .  मीरा के प्रभु गिरिधर नागर हरष हरष जस गायो ..

 

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