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Bhajan-Ram-09

Bhajan-Ram-09

मन लाग्यो मेरो यार मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..  

जो सुख पाऊँ राम भजन में  सो सुख नाहिं अमीरी में  मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..

भला बुरा सब का सुन लीजै कर गुजरान गरीबी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..  

आखिर यह तन छार मिलेगा कहाँ फिरत मग़रूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..  

प्रेम नगर में रहनी हमारी साहिब मिले सबूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..  

कहत कबीर सुनो भयी साधो साहिब मिले सबूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..

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